Song parody of
Mohe Ram Rang Rang De
by Udit Narayan
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आओ तुमको ले चले
राम सिया के देश रे
कौशल्या की गोद में प्रकते
अवधकुंज में अवध बिहारी
सिया संग में रचा स्वयंबर
तोड़े धनुष सरस धानुधारी
आई अवध में जनक दुलारी
हर्ष दे हर एक चरण पखारी
मोहे राम रंग रंग दे रे
मोहे राम रंग रंग दे रे
राम निहारे सिया को रे
सिया निहारे राम को रे
दासी मैं राम की दासी रे
दासी मैं रे राम की दासी रे
कैकाई को राज तिलक तो
रामचंद्र का रास ना आया
दशरथ के शरण आके बोली
उनका वर उन्हें याद दिलाया
दशरथ बोले माँगो प्रिय तुम
तन मन धन सब तुम पे अर्पण
भारत को दो तुम राज सिंघासन
14 वर्ष का राम को दो वन
पुत्र पिता का वचन निभाने
वन की और लगे कदम बढ़ने
सीते बोली हे रघुन्नादान
मैं भी चलूं वन धरम निभाने
रात की ममता लखन को खींचे
राम सिया के चल भए पीछे
चल भए पीछे
चित्रकूट के घाट सजाई
झूठी बैर शबरी की खाई
रूपवती ले रूप सुरपणखा
नाक कटा के पहुँची लंका
लंका में रावण का डंका
कटा नाक कौन रे रनबंका
धिक्कार है धिक्कार है
धिक्कार है भाई रावण
तेरी वीरता को धिक्कार है
वन में आए दो नर नारी
एक ने कटी नाक हमारी
शंकनाड़ सा लगा गरजने
पहुँचा चलकर सिया को हारने
मारीच बन मृग चलन पराई
लगाल बान लखन बोहराई
साधु भेस धर कर चलकारी
भिक्षा दो मोहे आके पुकारी
करके हरण चल दिया असंका
पहुँच गया सिया हर ले लंका
वन वन ढूंढत लखन रघुवीरा
सहत कलेश कठिन तन पीड़ा
कलपट प्रभु से कहत जटायु
सिया हरण का राज बताई
मिले कमी हरी माननुरागा
प्रभु के दस सफल कर काजा
संकट उड़े हनुमत रन रांका
फूँक दिए जाकर गढ़ लंका
हाँ लंका फूँक दिए हनुमत ने लंका
माता मैं आगया चाहता हूँ
श्री रामचंद्र जी के लिए कोई संदेशा हो
तो आदेश हो माता
हरी चरण छू कर आशीष लेना
चूड़ामणि कमी प्रभु को देना
हरी बिन कितना मॅन है व्याकुल
राम को सीए का संदेशा देना
जा रे पवन जा ले जा संदेशा
पीय को मेरे ले जा संदेशा
चलत पवन सूट सुध ले आए
राम को सिया का हाल बताए
हाहाकार गुंजल गगन आँगन
बौडस बन चले है संग संग
घामाशाण छिड़ गयी लड़ाई
असुर संहार विजय हरी पाई
रावण वध कर सिया लेया के
लखन सहित अब अवध में आके
राम राज भाए सब जाग जाना
प्रभु लीला सब जगत बखाना
मोहे राम रंग रंग दे रे.
आओ तुमको ले चले
राम सिया के देश रे
कौशल्या की गोद में प्रकते
अवधकुंज में अवध बिहारी
सिया संग में रचा स्वयंबर
तोड़े धनुष सरस धानुधारी
आई अवध में जनक दुलारी
हर्ष दे हर एक चरण पखारी
मोहे राम रंग रंग दे रे
मोहे राम रंग रंग दे रे
राम निहारे सिया को रे
सिया निहारे राम को रे
दासी मैं राम की दासी रे
दासी मैं रे राम की दासी रे
कैकाई को राज तिलक तो
रामचंद्र का रास ना आया
दशरथ के शरण आके बोली
उनका वर उन्हें याद दिलाया
दशरथ बोले माँगो प्रिय तुम
तन मन धन सब तुम पे अर्पण
भारत को दो तुम राज सिंघासन
14 वर्ष का राम को दो वन
पुत्र पिता का वचन निभाने
वन की और लगे कदम बढ़ने
सीते बोली हे रघुन्नादान
मैं भी चलूं वन धरम निभाने
रात की ममता लखन को खींचे
राम सिया के चल भए पीछे
चल भए पीछे
चित्रकूट के घाट सजाई
झूठी बैर शबरी की खाई
रूपवती ले रूप सुरपणखा
नाक कटा के पहुँची लंका
लंका में रावण का डंका
कटा नाक कौन रे रनबंका
धिक्कार है धिक्कार है
धिक्कार है भाई रावण
तेरी वीरता को धिक्कार है
वन में आए दो नर नारी
एक ने कटी नाक हमारी
शंकनाड़ सा लगा गरजने
पहुँचा चलकर सिया को हारने
मारीच बन मृग चलन पराई
लगाल बान लखन बोहराई
साधु भेस धर कर चलकारी
भिक्षा दो मोहे आके पुकारी
करके हरण चल दिया असंका
पहुँच गया सिया हर ले लंका
वन वन ढूंढत लखन रघुवीरा
सहत कलेश कठिन तन पीड़ा
कलपट प्रभु से कहत जटायु
सिया हरण का राज बताई
मिले कमी हरी माननुरागा
प्रभु के दस सफल कर काजा
संकट उड़े हनुमत रन रांका
फूँक दिए जाकर गढ़ लंका
हाँ लंका फूँक दिए हनुमत ने लंका
माता मैं आगया चाहता हूँ
श्री रामचंद्र जी के लिए कोई संदेशा हो
तो आदेश हो माता
हरी चरण छू कर आशीष लेना
चूड़ामणि कमी प्रभु को देना
हरी बिन कितना मॅन है व्याकुल
राम को सीए का संदेशा देना
जा रे पवन जा ले जा संदेशा
पीय को मेरे ले जा संदेशा
चलत पवन सूट सुध ले आए
राम को सिया का हाल बताए
हाहाकार गुंजल गगन आँगन
बौडस बन चले है संग संग
घामाशाण छिड़ गयी लड़ाई
असुर संहार विजय हरी पाई
रावण वध कर सिया लेया के
लखन सहित अब अवध में आके
राम राज भाए सब जाग जाना
प्रभु लीला सब जगत बखाना
मोहे राम रंग रंग दे रे.