ज़रा ठहरो ज़रा बैठो करनी है बातें पास आओ और थोड़ा सर्द है रातें आसान होता तो मैं कब का कह चूका होता ऐसे तुम्हारे सामने खामोश ना रहता ज़रा ठहरो ज़रा बैठो करनी है बातें पास आओ और थोड़ा सर्द है रातें मेरी आँखों में सांसों में पहले भी ये ख्वाब चलता रहा तेरी नींदों में चुपके से जाने से जाने क्यूँ डरता रहा बारिश की बूंदों सा ये दिल गिरता बरसता है तुम पास होते हो मगर फिर भी तरसता है ज़रा ठहरो ज़रा बैठो करनी है बातें तुमको पाना चाहती हैं मेरी बरसातें आ.. कोई आये ना जाए ना आओ ना ऐसी जगह में ले चलूँ हाँ जहाँ वक़्त हमारा रुका हो और मैं अपने दिल की कहूँ धड़कन को अपनी एक पल आराम ना देना इस मोड़ पे आकर दिल को तोड़ ना देना ज़रा ठहरो ज़रा बैठो करनी है बातें और थोड़ी देर चलने दो मुलाकातें हो..
Written by: rashmi virag
Submitted by: SK1001 on August 19, 2020
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