न मेरी कमी न तेरी खता मोहब्बत में दोनों ने पायी सज़ा दिल में नही वफ़ाएँ थी कम मगर वक़्त हम पे न था मेहरबां किसी कहानी में तू होगा मेरा हाँ उस कहानी में मिलना मुझे फिर कहीं हाँ तेरा इंतेज़ार है कहाँ करार है हाँ तेरी आस ही दिल को हाँ बेशुमार है बयान करूँ कैसे तेरा इंतेज़ार है तेरा इंतेज़ार है तेरा इंतेज़ार है आ आ आ आ अखियाँ तरस गैइयाँ दीदार नू आवे मुकाड़े इंतेज़ार नू आवे मुकाड़े इंतेज़ार नू फिर कहीं दिल ने महसूस किया था
Written by: MITHUN SHARMA
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