Chaupai Sahib

Poonam Thakkar, Buddhaa M.

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Buddhaa M.


7:23

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ੴ स्री वाहगुरू जी की फतह 
पातिसाही १० 
कबियो बाच बेनती 
चौपई 

हमरी करो हाथ दै रछा 
पूरन होइ चि्त की इछा 
तव चरनन मन रहै हमारा 
अपना जान करो प्रतिपारा १

हमरे दुशट सभै तुम घावहु 
आपु हाथ दै मोहि बचावहु 
सुखी बसै मोरो परिवारा 
सेवक सि्खय सभै करतारा २

मो रछा निजु कर दै करियै 
सभ बैरिन कौ आज संघरियै 
पूरन होइ हमारी आसा 
तोरि भजन की रहै पियासा ३

तुमहि छाडि कोई अवर न धयाऊं 
जो बर चहों सु तुमते पाऊं 
सेवक सि्खय हमारे तारियहि 
चुन चुन श्त्रु हमारे मारियहि ४

आपु हाथ दै मुझै उबरियै 
मरन काल का त्रास निवरियै 
हूजो सदा हमारे प्छा 
स्री असिधुज जू करियहु ्रछा ५

राखि लेहु मुहि राखनहारे 
साहिब संत सहाइ पियारे 
दीनबंधु दुशटन के हंता 
तुमहो पुरी चतुरदस कंता ६

काल पाइ ब्रहमा बपु धरा 
काल पाइ शिवजू अवतरा 
काल पाइ करि बिशन प्रकाशा 
सकल काल का कीया तमाशा ७

जवन काल जोगी शिव कीयो 
बेद राज ब्रहमा जू थीयो 
जवन काल सभ लोक सवारा 
नमशकार है ताहि हमारा ८

जवन काल सभ जगत बनायो 
देव दैत ज्छन उपजायो 
आदि अंति एकै अवतारा 
सोई गुरू समझियहु हमारा ९

नमशकार तिस ही को हमारी 
सकल प्रजा जिन आप सवारी 
सिवकन को सवगुन सुख दीयो 
श्त्रुन को पल मो बध कीयो १०

घट घट के अंतर की जानत 
भले बुरे की पीर पछानत 
चीटी ते कुंचर असथूला 
सभ पर क्रिपा द्रिशटि करि फूला ११

संतन दुख पाए ते दुखी 
सुख पाए साधन के सुखी 
एक एक की पीर पछानै 
घट घट के पट पट की जानै १२

जब उदकरख करा करतारा 
प्रजा धरत तब देह अपारा 
जब आकरख करत हो कबहूं 
तुम मै मिलत देह धर सभहूं १३

जेते बदन स्रिशटि सभ धारै 
आपु आपुनी बूझि उचारै 
तुम सभ ही ते रहत निरालम 
जानत बेद भेद अरु आलम १४

निरंकार न्रिबिकार न्रिल्मभ 
आदि अनील अनादि अस्मभ 
ताका मूड़्ह उचारत भेदा 
जाको भेव न पावत बेदा १५

ताकौ करि पाहन अनुमानत 
महां मूड़्ह कछु भेद न जानत 
महांदेव कौ कहत सदा शिव 
निरंकार का चीनत नहि भिव १६

आपु आपुनी बुधि है जेती 
बरनत भिंन भिंन तुहि तेती 
तुमरा लखा न जाइ पसारा 
किह बिधि सजा प्रथम संसारा १७

एकै रूप अनूप सरूपा 
रंक भयो राव कहीं भूपा 
अंडज जेरज सेतज कीनी 
उतभुज खानि बहुरि रचि दीनी १८

कहूं फूलि राजा ह्वै बैठा 
कहूं सिमटि भयो शंकर इकैठा 
सगरी स्रिशटि दिखाइ अच्मभव 
आदि जुगादि सरूप सुय्मभव १९

अब ्रछा मेरी तुम करो 
सि्खय उबारि असि्खय स्घरो 
दुशट जिते उठवत उतपाता 
सकल मलेछ करो रण घाता २०

जे असिधुज तव शरनी परे 
तिन के दुशट दुखित ह्वै मरे 
पुरख जवन पगु परे तिहारे 
तिन के तुम संकट सभ टारे २१

जो कलि कौ इक बार धिऐहै 
ता के काल निकटि नहि ऐहै 
्रछा होइ ताहि सभ काला 
दुशट अरिशट टरे ततकाला २२

क्रिपा द्रिशाटि तन जाहि निहरिहो 
ताके ताप तनक महि हरिहो 
रि्धि सि्धि घर मों सभ होई 
दुशट छाह छ्वै सकै न कोई २३

एक बार जिन तुमैं स्मभारा 
काल फास ते ताहि उबारा 
जिन नर नाम तिहारो कहा 
दारिद दुशट दोख ते रहा २४

खड़ग केत मैं शरनि तिहारी 
आप हाथ दै लेहु उबारी 
सरब ठौर मो होहु सहाई 
दुशट दोख ते लेहु बचाई २५

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Written by: Traditional

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    "Chaupai Sahib Lyrics." Lyrics.com. STANDS4 LLC, 2024. Web. 11 Oct. 2024. <https://www.lyrics.com/lyric-lf/13768506/Buddhaa+M./Chaupai+Sahib>.

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